Hindi Quote in Story by Raju kumar Chaudhary

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🌟 हार के बाद जीत

राजस्थान के एक छोटे से गाँव में अर्जुन नाम का युवक रहता था। बचपन से ही उसकी आँखों में बड़ा सपना था—वह देश का सबसे बड़ा खिलाड़ी बनना चाहता था। गाँव की गलियों में लकड़ी का बल्ला और पुराने टायर से बने बॉल के साथ खेलते हुए वह दिन-रात मेहनत करता।

ग़रीबी उसके साथ जन्म से जुड़ी थी। पिता किसान थे, जिनकी खेती पर अक्सर सूखा और बारिश की मार पड़ती। माँ घर का काम करतीं और कभी दूसरों के घर में चूल्हा-चौका भी कर देतीं। कई बार ऐसा होता कि अर्जुन के पास खेलने के लिए सही जूते तक नहीं होते। लेकिन उसके चेहरे पर मुस्कान और दिल में जुनून हमेशा मौजूद रहता।

पहली हार

कई साल की मेहनत के बाद अर्जुन को जिला स्तर की प्रतियोगिता में खेलने का मौका मिला। पूरे गाँव की उम्मीदें उस पर थीं। उसने जी-जान लगाकर तैयारी की। लेकिन जब मैदान में उतरा तो अनुभवहीनता और दबाव के कारण हार गया।

लोगों ने कहना शुरू कर दिया—
"अरे ये तो बस गाँव में अच्छा खेलता है, बड़े खिलाड़ियों के सामने कुछ नहीं कर पाएगा।"

अर्जुन टूट गया। उसे लगा जैसे सब खत्म हो गया हो।

माँ की सीख

उस रात माँ ने चुपचाप उसके कंधे पर हाथ रखा और बोलीं—
"बेटा, हार से बड़ा गुरु कोई नहीं होता। अगर सच में मंज़िल तक पहुँचना है तो गिरकर उठना सीखना होगा। याद रख, हारकर भी जो हिम्मत न हारे वही असली विजेता है।"

माँ की बात ने अर्जुन के दिल में आग जला दी।

पुनः प्रयास

अर्जुन ने हार को अपनी कमजोरी नहीं बल्कि सीढ़ी बनाया।
वह सुबह सूरज निकलने से पहले उठता और रात तक प्रैक्टिस करता। कई बार पसीने से कपड़े भीग जाते, पैरों में छाले पड़ जाते, लेकिन वह रुकता नहीं।

कुछ ही महीनों में उसके खेल में निखार आ गया। उसने फिर से जिला प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। इस बार वह पहले से कहीं ज्यादा तैयार था। मैदान पर कदम रखते ही सबको लगा जैसे यह वही अर्जुन नहीं है जो पहले हार गया था।

और हुआ भी वैसा ही—इस बार अर्जुन ने शानदार प्रदर्शन किया और पहला स्थान पाया।

बड़ी चुनौती

जिला जीतने के बाद राज्य स्तर की प्रतियोगिता सामने थी। अब दबाव और भी ज्यादा था। विरोधी खिलाड़ी प्रशिक्षित और सुविधाओं से लैस थे। अर्जुन के पास अभी भी पुराने जूते और सस्ते सामान ही थे। लेकिन उसके पास जो चीज़ थी, वह किसी और के पास नहीं—हार से मिली सीख और फिर से उठने का साहस।

राज्य प्रतियोगिता कठिन थी। कई बार ऐसा लगा कि वह हार जाएगा, लेकिन हर बार वह माँ की बात याद करता और और जोश के साथ खेलता। अंत में उसने सबको पीछे छोड़ते हुए राज्य चैम्पियनशिप जीत ली।

अंतिम सबक

उसकी जीत सिर्फ एक खेल की जीत नहीं थी। यह उस साहस की जीत थी जो हार के बाद भी टूटता नहीं। गाँव के लोग अब कहते—
"अर्जुन ने हमें सिखाया कि हार अंत नहीं, बल्कि नए सफर की शुरुआत है।"

अर्जुन ने मंच पर खड़े होकर ट्रॉफी उठाई और भीड़ से कहा—
"जीतने वाले वही नहीं होते जो कभी हारते नहीं… बल्कि वही होते हैं, जो हर हार के बाद और मज़बूत होकर खड़े होते हैं।"



✅ संदेश:
जीवन में हार से घबराना नहीं चाहिए। असली साहस वही है जब इंसान हार को स्वीकार कर फिर से पूरे जोश के साथ आगे बढ़े। यही पृथ्वी पर इंसान की सबसे बड़ी परीक्षा और सबसे बड़ी जीत है।

Hindi Story by Raju kumar Chaudhary : 111999859
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