आने के बाद में तेरे शहर
हर घड़ी घडी़ , हर पहर पहर।
एक तुझको ही तो ढूंढे है
बेबस सी मेरी ये नजर।
हर रोड़ रोड़ पर ढूंढे है
हर मोड़ मोड़ पर ढूंढे है।
हर ओर छोर पर ढूंढे है
बस तुझको ही मेरी ये नजर।
हर रोड़ ,सड़क, चौराहे पर
रुक जाती है मेरी ये नजर।
चुपके से आने जाने वालो में
ढूंढे है तुझको ही मेरी ये नजर।
हर पहर पहर में ढूंढे है
इस पूरे शहर मे ढूंढे है।
अब तो थक कर के हार गई
बेबस सी मेरी ये नजर।