"मै ही काश हूँ"
मै मोहब्बत, मै ही आस हूँ।
किसी की धड़कन, किसी की साँस हूँ।
मै जन्म-ओ-जन्म की प्यास हूँ।
मगर चलती-फिरती इक लाश हूँ।
मै अदना, मै ही ख़ास हूँ।
है कई खफ़ा, किसी को रास हूँ।
मै गमों का ज़िन्दा एहसास हूँ।
मै तन्हाइयों का सुर्ख लिबास हूँ।
मै मंज़िल-ए-राही, मै ही तलाश हूँ।
किसी की रंज, किसी की अरदास हूँ।
मै हासिल नही मगर सबके पास हूँ।
किसी की खुशी, किसी के लबों की मिठास हूँ।
मै मशहूर "कीर्ति" ख्यालों का उल्लास हूँ।
मै आह, उफ्फ, मै ही काश हूँ।
"मोहब्बत, तन्हाई, तलाश और खुद से एक सवाल।
ये ग़ज़ल सिर्फ अल्फ़ाज़ नहीं, मेरी पहचान की परछाईं है।
उम्मीद है मेरी ये ग़ज़ल आपके दिल से गुज़रेगी...
Kirti Kashyap "एक शायरा"✍️