वो दोस्ती का बंधन, जो कभी अटूट था,
आज बिखर गया है, जैसे कोई काँच टूटा।
दिल में थी कसक, आँखों में नमी आई,
जब तेरी बेवफाई की खबर मुझ तक आई।
यादें वो सुहानी, हँसी के वो पल,
साथ बिताए हमने, जैसे थे हम दो कवल।
हर राह में हमसफ़र, हर दुख में साथी,
फिर क्यों बदल गई, ये तेरी रंगीन बाती?
कभी सोचा न था, यूँ मोड़ आएगा,
तेरी दोस्ती का साया, यूँ छिन जाएगा।
मेरे हर राज़ से वाकिफ, मेरा हर दर्द तूने जाना,
फिर कैसे कर गया, ये अनजाना बहाना?
वो लम्बी बातें, देर रात तक जगना,
एक दूजे के सपनों को सच होता देखना।
तेरी आँखों में अपना अक्स दिखता था,
अब उन आँखों में, क्यों फरेब ही बिकता था?
ये दिल है कि मानता नहीं, धड़कता है तेरा नाम ले कर,
आँसू हैं कि थमते नहीं, बहते हैं तेरी याद में खो कर।
कैसे भुलाऊँ वो दिन, वो साथ, वो कस्में,
जब तूने कहा था, कभी न बदलेंगे ये रस्में।
शायद मेरी ही गलती थी, ज़्यादा भरोसा किया,
तेरी झूठी बातों को सच मान लिया।
तू तो निकला रेत की दीवार, जो पल में ढह गई,
मेरी सच्ची दोस्ती की कदर भी न रह गई।
अब अकेला हूँ मैं, इस वीरान राह पर,
ढूँढता हूँ उस दोस्त को, जो खो गया कहीं सफर पर।
ये आँखें तरस गईं हैं, एक झलक पाने को,
ये दिल बेचैन है, फिर से साथ मुस्कुराने को
कभी सोचा न था, दोस्ती भी रुलाती है इतना,
जैसे कोई अपना, अचानक छोड़ जाता है तन्हा।
ये आंसू गवाह हैं, मेरी सच्ची मोहब्बत के,
जो हार गई तेरी फरेबी सियासत के।
अब बस यही दुआ है, तू जहाँ भी रहे खुश रहे,
मेरी यादें कभी तुझे न दुख दें, न कुछ कहें।
मैं तो जी लूँगा अकेला, इस टूटे हुए दिल के साथ,
शायद यही मेरी किस्मत थी, यही दोस्ती का था हाथ।
फिर भी कभी जो याद आये मेरी, तो लौट आना,
शायद तब तक भर जाए, इस दिल का वीराना।
पर अब वो पहली सी बात कहाँ, वो पहला सा प्यार कहाँ,
जब दोस्ती में ही मिला धोखा, तो अब ऐतबार कहाँ?
बस अब ख़ामोशी है, और बहते हुए आँसू,
इस टूटी हुई दोस्ती का यही है पहलू।
कभी हँसते थे साथ, आज रोते हैं अकेले,
ये कैसा रंग लाई, दोस्ती के मेले?
ये मेरी कविता, शायद कम है कहने को,
मेरे दिल के दर्द को, पूरी तरह से बहने को।
पर फिर भी, ये कोशिश है एक, अपनी बात रखने की,
एक टूटे हुए दोस्त की, फरियाद सुनने की।
अलविदा दोस्त, शायद फिर कभी मुलाक़ात न हो,
अब इस दिल में तेरे लिए, वो पहली सी बात न हो।
तू खुश रहे अपनी राहों में, यही मेरी कामना है,
मेरी टूटी दोस्ती की, बस यही कहानी है।