ये ख्वाहिशें भी बड़ी खूबसूरत होती हैं - और बेचारा इंसान इनको पूरा करने में अपना दिन रात एक कर देता है।
ख्वाहिशें, सपनों की तरह, इंसान के जीने का सबसे बड़ा सहारा होती हैं। ये हमें एक वजह देती हैं हर दिन कुछ नया करने की, खुद को आगे बढ़ाने की। लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या ख्वाहिशों का होना सही है? इसका जवाब है—हाँ, बिलकुल सही है। ख्वाहिशें इंसान को दिशा देती हैं, उसे उसके उद्देश्य से जोड़ती हैं। बिना ख्वाहिशों के इंसान का जीवन बेमकसद हो जाता है, जैसे कोई नाव बिना पतवार के।
अक्सर कहा जाता है, जितनी चादर उतने पैर फैलाने चाहिए। यह कहावत हमें अपनी सीमाओं को पहचानने की सीख देती है। लेकिन क्या हर बार सीमाओं में रहना ही सही है? जीवन का असली मज़ा तब है जब आप अपनी चादर को बड़ा करने का साहस रखें, जब आप अपने सपनों और ख्वाहिशों के लिए अपनी क्षमता को और विस्तृत करें। क्योंकि जीवन बड़ा नहीं, बल्कि इसके जीने के सबक बड़े हैं। जो इंसान अपने सपनों को सच करने की हिम्मत रखता है, वही जीवन को असली मायनों में जीता है।
ख्वाहिशें आपको मेहनत करना सिखाती हैं। जब आप किसी चीज़ को पाने की ठान लेते हैं, तो आप खुद में वो ताकत खोज निकालते हैं जिसका एहसास आपको पहले नहीं था। तो क्यों न अपनी ख्वाहिशों की लिमिट बढ़ाई जाए? इतना बढ़ाया जाए कि आप किसी भी कहावत या नकारात्मक सोच से ऊपर उठ जाएं।
हर वह सपना मुमकिन है जिसकी ख्वाहिश आपने आज से की है—और यही आज का दिन सबसे बेहतर है उसे पूरा करने की शुरुआत के लिए। सपनों के लिए सही समय कभी नहीं आता; सही समय वही होता है जब आप पहला कदम उठाने का साहस करते हैं।
लेकिन, ख्वाहिशों के बाद अक्सर निराशा क्यों आती है? इसका कारण है हमारी अधीरता। हम कोशिश का समय तय कर लेते हैं। हमें लगता है कि फल तुरंत मिल जाना चाहिए। जबकि सच्चाई यह है कि कोशिश एक कर्म है—और कर्म का फल तब मिलता है जब उसका समय आता है। यदि हम कोशिश को एक अनुभव की तरह अपनाएं, तो हर असफलता हमें मजबूत बनाती है और हमें एक नई दिशा देती है।
जीवन में इंसान की उपलब्धियां उसे महान नहीं बनातीं, बल्कि उसकी राह की मुश्किलें ही उसे परखती हैं। कठिनाइयों से गुजर कर ही हम अपनी ख्वाहिशों की असली कीमत समझ पाते हैं। इसलिए अपनी ख्वाहिशों से डरना नहीं चाहिए, उन्हें गले लगाना चाहिए, उनके लिए दिन-रात मेहनत करनी चाहिए।
जीवन छोटा सही, पर इसमें सीखने, बढ़ने और सपनों को हकीकत बनाने की अपार संभावनाएं हैं। अपनी चादर को बड़ा करना सीखिए, अपनी सीमाओं से आगे बढ़ना सीखिए। क्योंकि जो ख्वाहिशें आज आपके दिल में हैं, वही कल आपके जीवन की सबसे बड़ी जीत बन सकती हैं।
— धीरेन्द्र सिंह बिष्ट
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