Hindi Quote in Quotes by DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR

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📖 जब पहाड़ रो पड़े – एक किताब, एक तड़प, एक सच्चाई 🌄

यह सिर्फ़ एक किताब नहीं है — यह उन पहाड़ों की पुकार है, जिन्हें हम सबने कभी न कभी पीछे छोड़ दिया।
यह उन बूढ़ी आंखों का इंतज़ार है, जो आज भी दरवाज़े पर खड़ी हैं — शायद कोई लौट आए…

“जब पहाड़ रो पड़े” लेखक धीरेन्द्र सिंह बिष्ट की कलम से निकली एक सच्ची और मार्मिक दस्तावेज़ है, जो उत्तराखंड के गांवों से हो रहे पलायन की उस चुपचाप बहती त्रासदी को शब्द देती है, जिसे न सरकारें समझ पाईं, न ही अख़बारों की सुर्खियाँ।

हर पन्ना एक खाली गांव की कहानी कहता है, हर पैराग्राफ़ में किसी बेटे की मजबूरी, किसी मां की चुप्पी, और किसी पहाड़ी की पीड़ा दर्ज है।

आप अगर कभी पहाड़ में रहे हैं, वहाँ की मिट्टी की खुशबू को जाना है, या बस एक बार वहाँ की शांति को महसूस किया है — तो ये किताब आपके दिल को गहराई से छू जाएगी।

💔 “ये सिर्फ़ पलायन नहीं है, ये आत्मा की जड़ों से कटने की टीस है…”

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📆 प्रकाशित: 11 जुलाई 2025
🖋️ लेखक: Dhirendra Singh Bisht

इस किताब को पढ़िए, समझिए — और महसूस करिए कि जब पहाड़ रोते हैं, तो वो आवाज़ कितनी दूर तक गूंजती है।

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Hindi Quotes by DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR : 111987823
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