✤┈SuNo ┤_★_🦋
उसकी आँखों में अक्स मेरा देखना
छोड़ दिया,
मैंने मोहब्बत का क़िताब पढ़ना
छोड़ दिया,
जिन राहों से गुज़र कर मंज़िल
मिली थी कभी,
उन राहों से मैंने, अब गुज़रना
छोड़ दिया,
वो वफ़ादारियाँ, वो क़समें, वो
वादे सभी,
दिल से अब हर एक दास्ताँ गढ़ना
छोड़ दिया,
थी कभी ज़िद कि पा लूँ उसे हर
हाल में,
इस अधूरी हसरत में अब जलना
छोड़ दिया,
क्या मिला हासिल-ए-इश्क़ से
सिवाए तन्हाई के? ज़ख़्मी,
ख़्वाब-ए-रंगीं में अब तो बसना
छोड़ दिया,
जब जाना कि रौशनी उसकी कहीं
और है,
मैंने अपने बुझते चराग़ों को भी,
बलना छोड़ दिया..🔥
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♦❙❙➛ज़ख़्मी-ऐ-ज़ुबानी•❙❙♦
#LoVeAaShiQ_SinGh 😊°
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