*तू क्यों गया?*
सुनसान गली, रस्ता अनजान,
चाहत से भरे थे पत्थर, बेईमान।
ना कोई दरिया, ना सावन की बूंद,
फिर भी आंखें भर आईं, चुपचाप, बेजुबान।
क्या रुकना, क्या थम जाना,
हर सांस में तेरी कमी का बस जाना।
हर मोड़ पे दर्द, हर गली सदा दे,
"तू कहां है?" दिल यही दुआ दे।
मेरी रूह को तू छू क्यों गया?
फिर अगले ही दिन, रूठ क्यों गया?
_Mohiniwrites