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*रूह का रिश्ता* राहत में भी कुछ तूफ़ान सा था, जैसे किसी ने दिल की बातों को छू लिया था। वो जब चला, तो रूह में हलचल सी छा गई, हर सांस जैसे उसकी याद से भर गई। ज़िंदगी समंदर जैसी गहरी थी, फिर भी उसने पास आकर एक वादा निभा दिया। अब वो दूर है, पर एहसास है साथ, मेरे सुकून की हर सांस में बस गया है वो बात-बात। छत के पार कहीं अटका सा है, जैसे मेरी दुआओं में हर पल उसका नाम लिखा है। मैंने उसे पर्दे के उस पार भी जी लिया, जैसे रूह ने रूह से एक रिश्ता बना लिया| _Mohiniwrites
सादगी से सितारा ✨ फितरत में सादगी थी , जीती थी यूँ ही मुस्कुराकर, पर जब नखरे उठाए, तो सब वही करने लगे जो मैं पहले ही निभा चुकी थी। जब भी कोई बात दिल को छूती, मैं न जली पर खुद को और अधिक गहराई में ढाल लिया। खुला जब आकाश मेरे भीतर, तो मैं एक ऐसी चमक बनी जो कई जन्मों तक सजी रही। और फिर भी तू मुझे समझ न सका। राह में पड़े पत्थर भी मेरे दर्द पर कांपे। हाँ, मैं हँसती हूँ जब-जब अपने मन के अनुसार जीती हूँ। वहीं हँसी मेरी पहचान है, मेरा अधिकार है। _Mohiniwrites
💔 वादों की ख़ामोशी 💔 गुलशन में चाहत के फूल खिले, पर ख्वाबों की शाखों से चुपके से गिर गए वादे। ज़िन्दगी की किताब के पन्ने भी अब गीले हैं, हर लफ़्ज़ में बसी है वो ख़ामोश हँसी की परछाई। दरिया था मोहब्बत का, पर कोई पार ना मिला, दर्द की लहरें चुपचाप सीने में उतर आईं। राहत आई कई बार, पर रुकी नहीं कहीं, हर पल बदला वक़्त ,पर चेहरा वही छाया लिए बैठा है... _Mohiniwrites
*मैं बिरहा की मारी* एक अधूरी दास्तान सारे रिश्ते, वादे अधूरे से क्यों लगते हैं, मैं बिरहा की मारी, तेरे हर वजूद पे, मेरे हमदम की हारी। कोई तो तूफ़ानी हुई, बस फ़कत मेरे क़दमों को बढ़ाते हुए, वो पल मेरे साथ से हट गए। ना कोई दिल पे चला, ना कोई शोर उठा, क्या पता वो दर्द से भरी ख़ामोशी थी, जो मेरे-तेरे दरमियान आकर बस गई। ना नशा, ना सुरूर, ना जुनून पर न जाने कब से ठहरा हुआ सा है एक लम्हा, जो गुज़र ही नहीं रहा। _Mohiniwrites
वैसे तो हर मोड़ पर तुझसे .. हमने कई सवाल किए थे, पर तू था ही नहीं इतना सच्चा, जो हमारे सवेरे की खामोशी को भी सुन पाता। अब भी कोई मेरे सवेरे से पूछे "क्या कोई है तेरे पास?" तो मेरी खामोशी जवाब दे देती है। टूटे सनम की बाहों में सोया होगा तू, पर हम तो पहले ही टूट कर जाग चुके थे। गुरूर तेरा हमेशा हम पर ही चला, कभी अपने आईने में झांक कर भी देखता। ठहर जा एक पल, और सोच जिसे तूने सताया, उसने हर दर्द चुपचाप सीने में उठाया होगा। _Mohiniwrites
*तेरे हिस्से की रोशनी* चाहिए जो… वो वक़्त के साथ हम ढूंढ़ लेंगे, कब से वह चाह हमारी, सनम की संग रह नहीं। कोई जहाँ जवाब सच न रोये जाए, ना जाने अपना वक़्त भी क्या अजीब सिलसिला प्यारा सा रह गया। जो राम मेरे करीब से आए, कहीं न कहीं वो हँसते हुए दम निकल रहे। मुझे तो तेरे हिस्से में, मेरी तक़दीर की वो रौशनी से ही चाहत है। तेरे नाम की ख़ामोशी, अब मेरी दुआ बन गई है, इश्क़ का जवाब, अब रब की इनायत सी लगती है। जो पल टूटे नहीं थे, वही रूह बन गए हैं, और जो पास थे, अब दूर से मुस्कुरा रहे हैं। _Mohiniwrites
*वक़्त के साए* हसीन पल कहीं ठोकर में टूटे, ख्वाब थे जो प्यारे, तक़दीर से भी ज़्यादा। वफ़ा की आरज़ू की, मगर जतन काम ना आए, जो चल पड़ा, वो मेरे साए को भी ठुकरा गया। धड़कते सीने से उठी थी एक पुकार, जिसे नज़रअंदाज़ कर गया वो बेख़बर यार। वो ज़रिया था जो बहा, पर हम ना साथ रहे, बस रह गए लम्हे, जो अब सिसकियाँ बन बहते हैं। चल, ऐ मेरे यारा, कुछ तो पलकों को थाम ले, थक गई हैं ये भी अब रोते-रोते। क्यों कोई ना मिले, जब तू ही हर शाम में साथ रहे? शायद जवाब कोई ना हो बस तन्हाई ही हो, जो हमेशा साथ रहे... _Mohiniwrites
*Ek Paheli Si Thi* Ek paheli si thi .. jise kabhi samjha hi nahi, Raah mein thokar mili… par safar ko roka hi nahi. Chali gayi wo, jo sabse haseen pal thi, Bas dekha unhe… jee nahi paye. Guzra zamana, dil bhar laaya, Aur khud se hi kuch keh nahi paye. Khushi thi bhi shayad kahin, par ehsaas na ho paya, Woh thahri nahi... Aur hum bhi kahaan ruk paye? Jo sabse pyara tha nazara, Woh mere naseeb mein likha hi nahi. Sawan barsa… aankhon ne sab keh diya, "Rahne do… chalo ab." _Mohiniwrites
*Chandni Si Tu* Chandni si hai teri roshni, Tu mere andheron se judi hai. Ek khaas baat hai.. Jo meri takdir kisi mod pe mudi hai... Pal mein na badle kabhi koi, Par tu aayi aur sab kuchh badal gaya. Mere sirhane khushiyan rakh di, Jo khali tha, wo jahan khil gaya. Na koi raha, na koi mila, Phir bhi chahat teri yun khili, Ke har kali muskara uthi... Aur main .. Main poora ho gaya. _Mohiniwrites
*तू क्यों गया?* सुनसान गली, रस्ता अनजान, चाहत से भरे थे पत्थर, बेईमान। ना कोई दरिया, ना सावन की बूंद, फिर भी आंखें भर आईं, चुपचाप, बेजुबान। क्या रुकना, क्या थम जाना, हर सांस में तेरी कमी का बस जाना। हर मोड़ पे दर्द, हर गली सदा दे, "तू कहां है?" दिल यही दुआ दे। मेरी रूह को तू छू क्यों गया? फिर अगले ही दिन, रूठ क्यों गया? _Mohiniwrites
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