लिखना चाहता हूँ,
या बस खाली हूँ
आज कल सच मुच समझता हूँ दुनिया या हूँ
थोड़ा कम-अक्कल उम्र मेरी पार नहीं बीस इतना क्यों लिख रहा हूँ ?
है भी कोई मतलब या बस पन्ने भर रहा हूँ।
ना सोचू फिजूल, तो लिखता था अब अपने लिखने पर इतना सोच रहा हूँ ना शब्दों में मेरी उम्मीदे, ना लय, ना विद्रोह, ना साहस फिर क्यों शब्द समेट रहा हूँ?
लिखना चाहता भी हूँ या बस ?
..
~GORA