सजल
समांत-अल
पदांत - फिर याद तेरी आ गई।।
मात्रा भार - 12+14=26
हो गईं आँखें सजल.....
हो गईं आँखें सजल, फिर याद तेरी आ गई।
दिल हुआ रोकर विह्वल, फिर याद तेरी आ गई।।
दिन गुजारे थे कभी, दर्द की परछाइयों में।
लौट आए सुखद पल, फिर याद तेरी आ गई।।
अब अकेला हो गया, काटता अंगना मेरा।
पी रहे कबसे-गरल, फिर याद तेरी आ गई।।
भूल क्या मुझसे हुई, कुछ भी समझ आता नहीं।
प्रीति कर जाती विकल, फिर याद तेरी आ गई।।
श्रम-पसीने को बहा, हमने सजाया स्वप्न-घर।
किंतु जाना था अटल, फिर याद तेरी आ गई।।
बेटियों को ब्याह कर, लाते रहे हैं आज तक।
यह कहावत है विफल, फिर याद तेरी आ गई।।
कुछ उड़े आकाश में, जब अग्नि का गोला बने।
खो गए स्वप्न रसातल, फिर याद तेरी आ गई।।
मनोज कुमार शुक्ल मनोज
13/6/25