**तेरे बिन सजना लागे ना जिया**
सावन की रिमझिम में बरसे गगनिया,
तेरे बिन सजना लागे ना जिया।
खेतों की पगडंडी पे चंदा चमके,
तेरे बिना चाँदनी ठंडी पिया।
गाँव की गलियों में पपीहा बोले,
तेरे बिन ये गीत अधूरे पिया।
माथे पे बिंदिया सजाके मैं आई,
तेरे बिन ये शृंगार फीका पिया।
महके चमेली, गुलाबों की डारी,
तेरे बिन ये खुशबू ना भाये पिया।
अंखियों में सपने सजाये मैंने,
तेरे बिन ये सपने ना साजे पिया।
दिल की दुआएँ करे बेकरारी,
तेरे संग जीना, ना मरे ये जिया।
सुहेल अंसारी। सनम