मै सिर्फ जिंदा हुँ पर जी नहीं रहा,
जैसे एक परिंदा हुँ पर उड़ नहीं रहा,
लोग भागते है मुझसे जाने मुझमे क्या है,
रहता हुँ अकेला जैसे वहीं मेरी पन्हा है,
और मै जानता हुँ सब फिर भी अनजान बना रहा,
जैसे एक खुला किताब हुँ फिर भी पन्नों के पीछे छुपा गुलाब बना रहा..!!