"सनातन की हुंकार"
कब तक मौन रहोगे तुम, अन्याय बढ़ता जाएगा?
कब तक सहते रहोगे, धर्म कब तक झुकता जाएगा?
जागो अब रणबांकुरों, माटी पुकार करती है,
राम का नाम लो रग-रग में, विजय पताका धरती है।
देखो भगवा रो रहा है, गीता फिर से पुकार रही,
कृष्ण का चक्र रुका पड़ा, धरती मां कराह रही।
उठो शिव के त्रिशूल बनो, बनो अर्जुन के बाण,
अब ना रुकेगी यह हुंकार, बन जाओ धर्म की जान।
सिंहनाद हो गगन गूंजे, हर घर में दीप जलाओ,
हिंदू का गौरव फिर जागे, चलो भगवा लहराओ।
अब ना रुकेगी कर्मधारा, धर्मपथ ना छूटे,
शिव, राम, काली के संग, जय सनातन गूंजे।
आओ हम सब एक बनें, फिर इतिहास बनाएंगे,
रामराज्य के सपने को, इस धरती पर लाएंगे।
हर घर से फिर दीप जलेगा, हर मन में अरमान,
जय सनातन, जय हिंदू, जय-जय हिंदुस्तान!
जय श्री राम! हर हर महादेव!
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