कभी न देखा गांव अपना
आज लिखेंगे सुंदर गांव अपना
गांव का द्रश्य कभी न देखा
सुना हुआ वो कल्पना में देखा
गांव का कुआं गांव की पनिहारी
अभी तक भर रही पानी!
गांव के किसान हल चलाते
ट्रेक्टर से अब खेती करते
गांव के लोग मासुम होते
इसलिए गांव में बसते होंगे?
गांव का द्रश्य सुंदर दिखता
गुगल में सर्च करके देखा
गांव में अब हो गये बहुत बदलाव
धूलिये रास्ते नहीं पक्के रास्ते
अपनी सोच अब आगे नहीं जाती
गांव में बसने की नहीं तैयारी
गांव में रह गये अब बड़े बुजुर्ग
युवा वर्ग शहर की और
शहर के नजदीक का गांव कैसा?
छोटे नगर जैसा बन जाता
अब नहीं रहा गांव का द्रश्य सुहाना
शहरी रिति-रिवाज गांवों में देखा
- कौशिक दवे