मुलाकात नसीब में नहीं,
इसलिए आजकल हवा से बाते करता हूँ...
एक वो है जिसे कदर तक नहीं तेरी आँखों की,
और मैं रोज़ तेरी एक झलक को मरता हूँ...
और अगर मोहब्बतें-इश्क़ गुनाह है तेरी नज़र में,
और अगर मोहब्बतें-इश्क़ गुनाह है तेरी नज़र में,
तो हां मुझे इश्क़ है तुझसे, मैं ये कबूल करता हूँ...
- Kshitij daroch