आज कल लोग अक्सर जिस्मानी महोब्ब्त में सुकून ढूंढते है,
ये भूल ही जाते है के महोबब्त का असली अर्थ ही इबादत है,
रूह से की जाए वो महोब्बत है, जिस्म तो दो दिन में ढल ही जाना है,
आज है कल नही,
माटी का बंधे पुतले है हम सभी,
कभी न कभी तो जाना ही है,
लेकिन उस एक शख्स का होना ही महोब्बत है,
जिंदगी के सफर में हमसफर हो या न हो,
फ़र्क नही पड़ता लेकिन,
उस एक का इंतजार ही महोब्बत है.....