"विश्वास और आस्था"
कहते हैं हमें विश्वास नहीं,
फिर भी हम करते हैं विश्वास।
आस्था हमारी अधिक रही,
लोग कहते हैं अंधविश्वास।
अंधविश्वास और आस्था में फर्क है,
आस्था मानों तो विश्वास।
अंधविश्वास के नाम पर लूट गए,
इश्वर पर आस्था से हम जी गये।
जब दिल में उम्मीद जगमगाती है,
तब विश्वास की रोशनी बिखरती है।
हमारी आस्था है अंतर्मन का दीपक,
जो कभी नहीं बुझता, न बुझेगा।
विश्वास तो एक आस्तिक का निशान है,
आस्था की राह पर चलना ही संकेत है।
अंधविश्वास से छला गया जग,
हम आस्था से जीते हैं, यही हमारी गाथा है।
इश्वर की आस्था से मन उज्जवल,
जीवन के हर मोड़ पर, हर पल।
विश्वास का अर्थ ही है जीवन,
आस्था का प्रकाश हमारी धरोहर है।
-कौशिक दवे