मैं और मेरे अह्सास
अपनों के लिए तो सभी जी रहे हैं दुनिया में l
आमदनी से थोड़ी सी सखावत होनी चाहिये ll
जिंदगी का लुफ्त उठाने के वास्ते मुकम्मल l
वक्त बेवक्त दोस्तों से जमावट होनी चाहिये ll
तबीयत दुरस्त रखने के लिए महफिलों में l
दिल मिलने मिलाने की रवायत होनी चाहिये ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह