आज खुद में खोने का दिल कहता है
मुस्कुरा कर हंसने का दिल करता है
उदासी छाई हो चेहरे पर मगर
फिर भी कुछ गुफ्तगू चांद से उनका
तारीफें हजार दिल करता है,,,,
अधखुली आंखों से तस्वीर उनका
उंगलियां कई बार ख्वाबों में बनाता है
नींद से जगने पर चंचल मन मेरा
खुद को पागल बताता है
कहने को तो हजार शिकायतें है मेरे पास
पर गुस्से में भी मेरा दिल
साथ बस तुम्हारा पाना चाहता है,,,
ओढ़ कर चांदनी रातों का चादर
बेखौफ सुंदर ख़्वाब सजाना चाहता है
चुरा कर वक्त दिन के उजालों से
जुगनुओं के बीच साथ तुम्हारा चाहता है
वक्त चाहे मुस्किल भरा क्यों न हो ?
मेरी आँखें तुम्हारे होठों पर मुस्कान हमेशा देखना चाहता है....
Manshi K