मैं और मेरे अह्सास
सपनों से रिश्ता दिल से निभाना चाहिये l
पुरे करने के वास्ते वक्त बिताना चाहिये ll
जहां हो जैसे भी हो गुलज़ार कर सको तो l
माहौल खुशग्वार करना सिखाना चाहिये ll
जिदगी को जिंदादिली से जीकर हमेशा l
क़ायनात में सभी को जिताना चाहिये ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह