कोई बिजली इन ख़राबों में घटा रौशन करे ऐ अँधेरी बस्तियो! तुमको खुदा रौशन करे नन्हें होंठों पर खिलें मासूम लफ़्ज़ों के गुलाब और माथे पर कोई हर्फ़-ए-दुआ रौशन करे ज़र्द चेहरों पर भी चमके सुर्ख जज़्बों की धनक साँवले हाथों को भी रंग-ए-हिना रौशन करे एक लड़का शहर की रौनक़ में सब कुछ भूल जाए एक बुढ़िया रोज़ चौखट पर दिया रौशन करे ख़ैर अगर तुम से न जल पाएँ वफाओं के चिराग तुम बुझाना मत जो कोई दूसरा रौशन करे
💞इमरान 💞