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Manshi K

Manshi K Matrubharti Verified

@manshik094934
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दुनियां की भीड़ से अलग रहना चाहती हूं मैं
अब खुद से ही खुद को बेगाना रखना चाहती हूं मैं...
- Manshi K

आंखों में दर्द और चेहरे पर उदासी
तेरे दिए तकलीफों के निशानी है....
- Manshi K

इस कलयुग में किसी को निस्वार्थ भाव से प्रेम करना ही आपकी सबसे बड़ा गुनाह है जिसकी सजा आपको रोज मिलेगी और कीमत आंसुओं से चुकाने पड़ेंगे...!!!
- Manshi K

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अगर एक बार कह देते "रुक जाओ "
मैं तुम्हारी बात टालती क्या ...??
तो शायद आज ये फासले न होते
मैं तो बस इतना चाहती थी,
कि तुम भी मुझे उतना ही चाहो...
जितना तुम्हें खोने से डर लगता है
काश मुझे खोने का डर
तुम्हारी आंखों में भी होता .....!!


- Manshi K

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अब तो मैं झूठी के बाद मतलबी लगूंगी
कल कुछ और नामों से पहचान कराई जाऊंगी
जरा सोचो मेरी तकलीफों के बारे में
बिना गलती के ही कल भी रुलाई जाऊंगी....

_Manshi K

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जिसे तकलीफ में देखना मुझे ना मंजूर था
आज वही इंसान आंखों में नमी की वजह बन रहा है...

_Manshi K

तुम समझोगे क्या…????
जब अपने ही सवाल बन जाएँ,
और जवाब देने वाला कोई न हो।
जब दिल बोले बहुत कुछ,
पर होंठ बस ख़ामोश रह जाएँ.....

तुम समझोगे क्या…
वो अकेलापन, जो शोर के बीच भी
चुपचाप मेरे साथ रहता है,
जिसे कोई देख नहीं सकता,
पर वो हर वक़्त सीने पर पत्थर-सा बैठा रहता है.....

तुम समझोगे क्या…
जब किसी को सबकुछ दे दिया हो,
और फिर भी वो कह दे"तुमने किया ही क्या है?"
जब हर ख़ुशी उसके नाम कर दी हो,
और बदले में बस एक "अजनबी" शब्द मिल जाए...

तुम समझोगे क्या…
कभी-कभी सिसकियाँ भी बोलती हैं,
पर तुम तो आदत में हो,
सिर्फ़ आवाज़ें सुनने को बेचैन रहती हूं...

तुम समझोगे क्या…
मेरी हर एक परेशानी को जो
तुमसे दूरियां बढ़ने का एहसास करवाता है...
हम क्यों मुस्कुराते हैं दूसरों के सामने?
क्योंकि हमारे आँसू अब लोगों को बोझ लगता है.....

तुम समझोगे क्या...??
उस वक्त जब मैं खुद को खत्म करने की बात करती हूं
सिर्फ सोचती नहीं हूं एक दिन कर जाऊंगी
क्योंकि मेरा जीना बेमतलब लगता है..…...

_Manshi K

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हमारी खामोशी को वो समझ न सके,
और हम उन्हें बिना कहे सब कुछ कहना चाहते हैं
अब शिकवा भी किससे करें,
जब दर्द देने वाला ही सबसे करीब थे...

- Manshi K

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कुछ रिश्ते दर्द देकर भी टूटते नहीं,
और कुछ बिना वजह ही छूट जाते हैं...

- Manshi K

लिखना मुझे बहुत पसंद है
उस वक्त शब्दों का जुड़ाव ही
मुझे संभालता है जब मैं बेवजह
अपनों की नजर में गलत दिखती हूं ....

पर हकीकत एक यह भी तो है
जिंदगी भर इन शब्दों को मैं संभाल नहीं सकती
एक दिन इनका साथ मुझसे छूट ही जाएगा
जिस दिन मेरी सांसों का हिसाब होगा
पर खुश भी हूं आंखों में आंसू आने के बाद भी
अपनों के लिए बद्दुआ बनकर मेरे ज़हन में नहीं आता .....

_Manshi K

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