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Manshi K

Manshi K Matrubharti Verified

@manshik094934
(130)

हवा से बातें हर रोज करती हूं
मुस्कुराकर कर तेरे होने का एहसास पाती हूं
तू खामोश रहे तो हजार सवालों का उलझन मन में लाती हूं
सोचो ज़रा तुम्हे परेशान देखकर खुद को कैसे समझती हूं??
- Manshi K

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दूर हूं तो सताते बहुत हो आप
पास रही तो कितना रुलाओगे मुझे
एक दिन बताना जरूर आप
मेरे होठों की मुस्कुराहट क्या बन पाओगे..??
- Manshi K

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एक रोज चाहत से शुरुआत और सांसों पर खत्म होगी
बेरूखी सांसें करेगी और रोना दिल को पड़ेगा
कितना अजीब है न सब कुछ यहां
मतलब से मतलबी लोग मिलते हैं
फिर क्या ? एक दिन तकलीफें हजार दे जाते हैं
- Manshi K

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बदल रही हूं मैं या इस ज़माने को बदलते हुए देख रही हूं
जो भी हो बस खुद से ही शिकायत कर रही हूं ,,,,

_Manshi K

कुछ देखे थे मैने , कुछ संभाले थे मैंने
कुछ ख़्वाबों को पंख भी दिया था मैंने
पर क्या हुआ एक समय बाद टूटता हुआ नज़र आया
अपनों के बीच वो ख़्वाब मिटना ही सही समझा...


- Manshi K

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आज खुद में खोने का दिल कहता है
मुस्कुरा कर हंसने का दिल करता है
उदासी छाई हो चेहरे पर मगर
फिर भी कुछ गुफ्तगू चांद से उनका
तारीफें हजार दिल करता है,,,,

अधखुली आंखों से तस्वीर उनका
उंगलियां कई बार ख्वाबों में बनाता है
नींद से जगने पर चंचल मन मेरा
खुद को पागल बताता है
कहने को तो हजार शिकायतें है मेरे पास
पर गुस्से में भी मेरा दिल
साथ बस तुम्हारा पाना चाहता है,,,

ओढ़ कर चांदनी रातों का चादर
बेखौफ सुंदर ख़्वाब सजाना चाहता है
चुरा कर वक्त दिन के उजालों से
जुगनुओं के बीच साथ तुम्हारा चाहता है
वक्त चाहे मुस्किल भरा क्यों न हो ?
मेरी आँखें तुम्हारे होठों पर मुस्कान हमेशा देखना चाहता है....



Manshi K

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खुद के मुस्कुराहट पर भरोसा था मुझे
आखिरी वक्त तक वो तो मेरा साथ देगा...
पर क्या कहूं गलती तो मेरी ही होती है?
खुद को संभाल नहीं पाती.....


- Manshi K

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खुद से काश पूछ पाती हकीकत क्या था ?
आंखों में आंसू और दिल को तकलीफ हुआ क्या कम था?
काश ! समझने को तैयार ये ज़माना होता मुझे
पर सवाल अब भी मेरा अधूरा ही था ......


Manshi K

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बहुत खुश होने से भी
अब डर लगता है
क्योंकी अब खुशियाँ भी
वक्त देखकर ठहरती है...
- Manshi K

कभी कभी जिद्दी नही बहुत जिद्दी बन जाती हूं
मुस्कुरा कर अपनों के होठों को मुस्कान देती हूं
क्या मैं गलत हूं उनकी फिक्र में खुद के तकलीफों का जिक्र कर जाती हूं....???समझ न पाती मैं इस दुनियां को या खुद के सवालों में ही उलझ जाती हूं.....


Manshi K

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