"पिता का दर्द"
संबंधों का मायाजाल कैसा है?कुछ समझ नहीं आता कभी जो बहुत अच्छे लगते हे वो कभी बहुत बुरे बन जाते हैं। कभी लगता है ये हमारी दुनिया है कभी लगता है ये हमारी दुनिया से विदा हो जाएं।
पिता और संतान वैसे तो जन्म और मृत्यु के बाद भी कभी खत्म नहीं होनेवाला संबंध है लेकिन हम देखते हैं कि कभी कभी जो बच्चा छोटा हो तो बोलता है मेरे पास मेरे पापा है मुझे कोई दिक्कत नहीं, दुनिया के सबसे ताकतवर और अच्छे पापा है , फिर वही बच्चा जब बडा होके सफल बनके अभिमानी बनता है तो अपने पापा को तुच्छ समझने लगता है और कहता है आपने कुछ नहीं किया मैंने अपनी जिंदगी खुद बनाई है।
संतान को बडा करने में पापा का समर्पण, त्याग और सफल बनाने के पीछे जो ना कुछ कहे मेहनत की है वो नहीं दिखती तब पापा अंदर से बहुत दुखी होते हैं। लेकिन पापा तो पापा है सब कड़वा भुलकर अच्छा और मीठा ही आर्शीवाद अपने संतान को देते हैं।
संतान अपने कर्तव्य भुल सकते हैं लेकिन माता पिता नहीं।
ब्लॉग पढ़ने के लिए धन्यवाद आपके सुझाव आवकार्य है।
धन्यवाद
कोमल शाह