वो रात अधूरी सी, वो बात अधूरी सी...
जुगनूओं की रौशनी में हुई, वो मुलाक़ात अधूरी सी,
वो रात अधूरी सी, वो बात अधूरी सी...
लिपटे हुए थे कुछ जज़्बात, हम दोनों की करवटों में,
चादर में पड़ी सिलवटों कि वो सौगात अधूरी सी....।।
वो रात अधूरी सी, वो बात अधूरी सी...
जज़्बातों की स्याही से लिखें कुछ ख़्वाब उस अंधेरे कमरे में,
उन ख्वाबों को सजाती उजाले कि शुरुआत अधूरी सी....।।
वो रात अधूरी सी, वो बात अधूरी सी...
मद्धम चलती सांसें जगा रही थी अरमान, कुछ तेरे कुछ मेरे दिल में,
तेज धड़कनों से बरसती अरमानों की बरसात अधूरी सी....।।
वो रात अधूरी सी, वो बात अधूरी सी...