#Kavyotsav गुडीया की शादी मे अब खेलते नही है बच्चे, खिलौनोमे झुनझुना चुन हसते नही है बच्चे। जाने कहा खो गयी मासुमियत इनकी आंखोंकी, की परियोंकी कहानी सूनकर सोते नही है बच्चे। तितली से लगाव ना कालियो से पहचान इनकी, किसी बागबगीचेमे फुलोसे खिलते नही है बच्चे। कभी मिट्टीसे मैले हुये न पाव इनके नन्हे नन्हे, कभी टीमटीम करते तारोको गिनते नही है बच्चे। कैसी बेरुखीसी दिखती है अब इनके अंदर बाहर, आजकल बारीश मे खुलकर भीगते नही है बच्चे। कैसा अकाल आन बसा है आसुयोंका दिलमे, दादा दादी गुजर भी जाये तो रोते नही है बच्चे। कैसे अजीब माहौल के साये आकर बसे दिलमे, अपने होकरभी अपनोको अपनाते नही है बच्चे। किरण शिवहर डोंगरदिवे, वॉर्ड न 5, समता नगर, मेहकर, ता मेहकर जिल्हा बुलढाणा पिन 443301 मोबा न 7588565576