ज़िंदगी की किसी भी मायूसी की घड़ी में ख़ामोश मत रहेना दोस्त
पर
तुम
चिखना
चिल्लाना
तूटकर रो देना
खुद से ही बतियातें रहना
नये पुराने दोस्तों-यारों को घेरना
आईने और दिवारों से बातें करना
बहार खूली हवामें घूमना-टहलते रहना
किसकी ज़िंदगी तुम्हारे सहारे है ये याद करना
किताब, संगीत, ध्यान, कलम, भक्ति का सहारा लेना
कुछ भी करना
बस
तुम
मरना नहीं...
खुद कुशी
करके
-Falguni Shah ©
#World Suicide Prevention Day
ज़िंदगी की किसी भी मायूसी की घड़ी में ख़ामोश मत रहेना दोस्त
पर
तुम
चिखना
चिल्लाना
तूटकर रो देना
खुद से ही बतियातें रहना
नये पुराने दोस्तों-यारों को घेरना
आईने और दिवारों से बातें करना
बहार खूली हवामें घूमना-टहलते रहना
किसकी ज़िंदगी तुम्हारे सहारे है ये याद करना
किताब, संगीत, ध्यान, कलम, भक्ति का सहारा लेना
कुछ भी करना
बस
तुम
मरना नहीं...
खुद कुशी
करके
-Falguni Shah ©
#World Suicide Prevention Day
-Falguni Shah