Quotes by Ajay Amitabh Suman in Bitesapp read free

Ajay Amitabh Suman

Ajay Amitabh Suman Matrubharti Verified

@ajay_amitabh_suman
(1.1k)

जमात

क्या गिद्ध की जमात है भाई,
आपस में सब करे लड़ाई।
जब भी चीता कोई आए,
बन जाए सब भाई भाई।
गिद्ध लोमड़ की बात यही है,
गीदड़ की भी जात यही है।
छल करने को हीं सब मिलते ,
फिर क्या ये फिर क्या वो भाई।

अजय अमिताभ सुमन

Read More

Fight

A Lawyer:How come Nitish and Tejasvi Yadav can sit together in a flight, after so much fight?

Another one:Its just like us. After fighting for client in Court , we drink together.

The Laughing Lawyer
Advocate Ajay Amitabh Suman

disagreement

A Judge, watching a lawyer advancing his case as per oral instructions given by the client in court.

Judge: Mr. Counsel , I am amazed at your agreement with your client.

Lawyer: Since he has disagreed to agree with me, I have no choice, but to disagree with my disagreement.

The Laughing Lawyer
Advocate Ajay Amitabh Suman

Read More

इम्तिहान

ना पूछ क्या मैं तेरा ,इम्तिहान चाहता हूँ,
तेरी नज़रों से तेरी,पहचान चाहता हूँ।
खुद की नजरों में होगे तुम नेक जरा सोच लो,
तराजू पर पूरा ईमान चाहता हूँ।
मजबूरियां नहीं है तो और क्या है आखिर,
शराफत ये ग़ैरत बयान चाहता हूँ।
ना डर हो खुदा का ना जन्नत का लोभ,
बेख़ौफ़ में तुम क्या हो वो नाम चाहता हूँ।

अजय अमिताभ सुमन

Read More

जंजीर

जहाँ आदम की जात और बाते हों पीर की। प्यादे की चाल और बातें वजीर की।
खेत हो किसानों के गेहूं अमीर की।
अमन के नाम पर बातें हो तीर की।
देख कहीं तो क्या हिंद आ गये है हम?
कि चीखती पुकार पर बाते जंजीर की।

अजय अमिताभ सुमन

Read More

खंजर

पुराना सा कोई मंजर,
सीने में खल गया,
ये उठा दर्द और
जी मचल गया।
बेफिक्री के आलम में
यादों का खंजर,
चला तो क्या बुरा था,
कि तू संभल गया,

अजय अमिताभ सुमन

Read More

आजमाइश

मैदान में शिकस्त की,
फिर से गुंजाइश हो,
उस शख्स के हौसले की,
फिर क्या आजमाइश हो?
कोई जीत भी जाए,
पर वो हारेगा क्या?
कि लड़खड़ाकर जिसको,
संभलने की ख्वाहिश हो।

अजय अमिताभ सुमन

Read More

जात आदमी के

आसां नहीं समझना हर बात आदमी के,
कि हंसने पर हो जाते वारदात आदमी के।
बुझते नहीं कफन से,अरमां दफ़न दफ़न से,
जलते हैं तन बदन से, आलात आदमी के।
कि दिन में है बेचैनी और रातों को उलझन,
संभले नहीं संभलते हालात आदमी के।
खुदा भी इससे हारा, इसे चाहिए जग सारा,
जग बदले पर बदले ना , जात आदमी के।

अजय अमिताभ सुमन

Read More

बाजार में हिला नहीं

तू भी क्या चीज है,कि नाम का गिला नहीं ,
शोहरत की दौड़ में थे सब, तू हिला नहीं।
लोग रोजी रोटी और , शरारत के पीछे,
तू खुद की ईमां और शराफत के पीछे।
दौलत की फ़िक्र में थे, सब तू मिला नहीं,
माजरा ये क्या है , बाजार में हिला नहीं।

अजय अमिताभ सुमन

Read More

रंजिशें

राह में तो फूल थे,
कई खिले हुए,
वो थे रंजिशों के मारे,
जहर चुने हुए।
खामोशियों के दौर ने ,
हुनर क्या दे दिया,
कहा भी ना था मैंने ,
थे वो सुने हुए।

अजय अमिताभ सुमन

-Ajay Amitabh Suman

Read More