हम इच्छाओं को ढूंढते रहते हैं
वसंत के खुलासे में,
गंगा के जल में
हिमालय के हर शिखर पर।
प्यार हमारे लिए जीवित होता
बहुत छोटी पगडण्डियों में,
घास के मैदानों में
घर के स्वभाव में।
इच्छाओं का हाथ
बहुत लम्बा होता है,
वसुंधरा से आगे
स्वर्ग तक फैला होता है।
इस साल से, उस साल में जाते
चीते का वेग पकड़े,
शिकार भी हैं, शिकारी भी हैं
शुभकामनाओं के आगार भी हैं।
*****
साल 2026 की शुभकामनाएं।
** महेश रौतेला