मरना बुरी बात नहीं
शोक की बात है,
मनुष्य जो मर गया
उसमें भगवान था।
पेड़ जो सूख गया
उसमें कभी प्राण था,
संग-संग जिया गया
वह पावन परिवार था।
टूट के संग भी
निकट का जुड़ाव था,
रोग जो हुआ था
उसका भी निदान था।
अस्तव्यस्त राह में
मिलन सुकुमार था,
गीत के पास में
स्वरों का संसार था।
मरना एक विराम है
प्रकृति में अनिवार्य है,
जो सांस में आया-गया
उसके निकट भगवान है।
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** महेश रौतेला