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✨ एक ख़ूबसूरत शाम — दिल को छू लेने वाली लम्हों की दास्तान ✨
शाम का वक़्त हमेशा से मेरे दिल के क़रीब रहा है। जब आसमान पर सुरमई रँगों की चादर बिछती है, तो लगता है जैसे कुदरत किसी ख़ामोश नज़्म को अपनी ज़ुबान से पढ़ रही हो।
हल्की-सी ठंडी हवा, दूर कहीं से आती अज़ान की मध्दम-सी आवाज़, और पेड़ों की शाख़ों पर बैठी चिड़ियों का लौटना… ये सब मिलकर शाम को एक रूहानी एहसास बना देते हैं।
ऐसी ही एक शाम आज मैं अपनी बालकनी में बैठी महसूस कर रही थी। सूरज की आख़िरी किरणों में ऐसा मासूम नूर था कि दिल ने अनजाने में ही दुआ दे दी—
"ऐ ख़ालिक़, ऐसी सुकून भरी शाम हर दिल को नसीब हो।"
शाम सिर्फ़ दिन का एक हिस्सा नहीं, बल्कि थके हुए दिलों की पनाहगाह होती है—
जहाँ इंसान कुछ लम्हों के लिए दुनिया की भागदौड़ भूलकर खुद से मिल पाता है।
कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि शाम हमें यह कहना चाहती है—
"ठहर जाओ, अपनी रूह की आवाज़ सुनो… हर फ़िक्र की धूल बैठने दो।"
और सच कहूँ तो, हर शाम अपने साथ एक नया सुकून, एक नई शुरुआत, और एक छोटी-सी उम्मीद लेकर आती है।
नई सुबह तो हर दिन होती है, लेकिन ख़ूबसूरत शामें, बस दिल वाले लोग ही महसूस करते हैं।
आज की यह शाम मेरे लिए एक छोटी-सी मोहब्बत, एक नाज़ुक-सी दुआ बन गई है…
और मैं यही एहसास आप सब तक पहुँचाना चाहती हूँ—
कि जब भी शाम हो, एक बार आसमान की तरफ़ ज़रूर देखिए।
क़ुदरत की यह नर्मी हर थके हुए दिल की दवा है।