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🌅 “एक नयी सुबह की रोशनी”
रात की तारीकी जब अपनी चादर समेटती है, तो अफ़क़ (क्षितिज) पर उजाला धीरे-धीरे मुस्कुराने लगता है। यही वह लम्हा है जब नयी सुबह अपनी नफ़ासत और ख़ुशबू के साथ हमारे दरवाज़े पर दस्तक देती है।
इस सुबह में एक अजीब सी रौनक, एक नयी उम्मीद, और दिल को सुकून देने वाली ठंडक छिपी होती है। ऐसा लगता है जैसे ज़िन्दगी हमें फिर से मौका दे रही हो—
मामूली सी दिखने वाली लेकिन महफ़ूज़ और मायनेदार शुरुआत का।
सवेरे की ठंडी हवा, मस्जिदों से आती अज़ान, और परिंदों की चहचहाहट—ये सब मिलकर सुबह को एक रोहानी ताज़गी देते हैं। यह वक़्त इंसान को खुद से मिलने, अपनी रूह को तस्कीन देने और दिल की थकान को मिटाने का मौका देता है।
हर नयी सुबह हमें याद दिलाती है कि
चाहे रात कितनी भी सख़्त क्यों न हो,
उम्मीद का सूरज फिर से तिलिस्मी चमक के साथ उगेगा।
तो आइए—
इस नयी सुबह को गले लगाएँ,
इसके साथ अपनी नई सोच, नई राहें और नए ख़्वाब जगाएँ।
क्योंकि सुबह सिर्फ़ उजाला नहीं लाती,
ये ज़िन्दगी का नया सफ़हा भी खोल जाती है।
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