---
✨ ख़ामोशियाँ बोल उठीं — एक ख़ूबसूरत शाम ✨
शाम का वक़्त हमेशा दिल को एक अजीब सी सुकून-आफ़रीं एहसास देता है। जब आसमान की पेशानी पर सुनहरी धूप की आख़िरी रौशनी फैलती है, तो लगता है जैसे रब ने दुनिया पर अपनी रहमत का रंग बिखेर दिया हो।
धीरे-धीरे शफ़क़ (लालिमा) धुँधली होती है और हवा की नरम लहरें दिल को छूकर गुज़रती हैं। ऐसा लगता है जैसे कुदरत हर शाम हमें यह कहती है कि—
“कोई भी मुश्किल हमेशा नहीं रहती…
हर दिन ढलता है, हर रात गुज़रती है,
और नई सुबह फिर से उम्मीद बनकर आती है।”
इस वक़्त चाय की ख़ुशबू और किसी पुरानी धुन का नरम सा तरन्नुम दिल के अहसासात को और भी गहरा कर देता है। शाम सिर्फ़ एक वक़्त नहीं, बल्कि दिल की तन्हाइयों का साथी है। यह हमें रुककर, मुस्कुराकर, अपने अंदर झाँकने का मौका देती है।
कभी-कभी लगता है कि शाम हमें ख़ुद से मिलने की फ़ुर्सत देती है—
जहाँ शोर-शराबा ख़ामोशी में बदल जाता है,
और थकान एक लम्हे की राहत में पिघल जाती है।
यही शाम की ख़ूबसूरती है—
नरम, नाज़ुक, मोहब्बत से भरी,
और दिल को एक नई रोशनी देने वाली।
---