"इज़्ज़तदार लोग"
हर बात पर करते हैं तकरार लोग,
मगर समझते हैं ख़ुद को समझदार लोग।
दूसरों की बदनामी करने को समझते हैं हुनर,
अपनी बारी आए तो हो जाते हैं बेदार लोग।
सच को तोड़-मरोड़ के पेश करते हैं यूँ,
जैसे ख़ुद ही हों कोई अख़बार लोग।
नेकी की बातें, मगर दिल में रखते फ़रेब,
बाहर से पाक, अंदर से दाग़दार लोग।
फ़ज़ूल बातों में करते हैं शोर बार-बार,
मगर सच कह दो, तो हो जाते हैं बेज़ार लोग।
ये अदब का चलन सिखाते हैं हमें,
बाज़ नहीं आते ये दो-चार लोग।
"कीर्ति" सच बोल कर भी हो जाती हैं गुनहगार,
झूठ बोल कर भी बन जाते हैं इज़्ज़तदार लोग।
Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️
बेदार = चौकन्ना
बेज़ार = नाराज़