"ख़ामोश हूँ मैं"...
हर एहसास को आँचल में समेटे हुए,
मुस्कान में दर्द छुपाए — ख़ामोश हूँ मैं।
जो कहना था, वो आँखें कह गईं सब,
लब थरथराए मगर — ख़ामोश हूँ मैं।
अब आह भी ज़ेवर सी लगती है मुझे,
दर्द को सजा बना के — ख़ामोश हूँ मैं।
घर की दीवारों से पूछो ज़रा,
कितनी बार टूटी हूँ — फिर भी ख़ामोश हूँ मैं।
सहमी नहीं, थमी नहीं, बस ठहर सी गई,
तूफ़ानों से गुज़र कर भी — ख़ामोश हूँ मैं।
Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️