“सुख़नवर की ज़िन्दगी”
सुख़नवर की ज़िन्दगी आसान नहीं होती,
हर लफ़्ज़ की क़ीमत अयान नहीं होती।
हर मिसरा किसी ज़ख़्म का किस्सा कहता हैं,
ये रूह की स्याही यूँ ही दान नहीं होती।
वो हँस दे भीड़ में, तो समझ लेना ऐ दोस्त,
वो हँसी उसकी मुस्कान नहीं होती।
हर शेर के पीछे है तहरीर-ए-जुनूँ,
ये रूह की तहरीर कह़ान नहीं होती।
वो जो दिल में उतर जाए, वही सुख़न है,
वरना हर शेर में भी जान नहीं होती।
लफ़्ज़ों में रूह भर के, खुद अधूरा रहता हैं,
चेहरे पे लिखी कोई दास्तान नहीं होती।
महफ़िल में जो वाह-वाह हासिल करे,
वो हर सदा दिल की ज़ुबान नहीं होती।
"कीर्ति" ने जो कहा, दिल ने महसूस किया,
मगर हर बात भी लफ़्ज़ों में बयान नहीं होती।
Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️
सुख़नवर = शायर
अयान = जाहिर, प्रकट
मिसरा = शेर की एक पंक्ति
तहरीर = लिखावट
कहान = कहानी
सदा – आवाज़