🦋जीवन की धड़कनों में करुणा की झलक
जैसे-जैसे जीवन बढ़ा —
काई से पेड़, पेड़ से पशु, पशु से मानव,
वैसे-वैसे एक अदृश्य भाव भी बढ़ता गया —
सहयोग, करुणा, संरक्षण।
हाथी अपने मृत साथियों के पास ठहरते रहे,
डॉल्फिन ने घायल साथी को ऊपर उठाया,
मां-पक्षी ने घोंसले में अपने बच्चे को ढँका
बारिश और शिकारी दोनों से।
यहीं थी प्राकृतिक नैतिकता की धड़कन,
जो शब्दों से पहले ही कर्म में जीवित थी।