मैं बहुत खुश हूँ — पर वजह मत पूछना।
तुम कहोगे, "क्यों हो?"
बस, यही तो नहीं बताना।
मैं मुस्कुराऊँगा तुम्हें ही याद करके।
फिर कैसे कहूँगा कि
इतना खुश हूँ मैं — तुम्हारी यादों के सहारे ही तो हूँ।
अब जैसा भी हूँ,
हुआ तो तुम्हारे ही कारण है;
फिर कैसे कह दूँ तुमसे ही कि —
तुम क्या हो मेरे...?
अजीब कश्मकश में फँसा हुआ हूँ,
फिर भी तुम्हारी यादों में बसा हुआ हूँ।
एतबार है तुम पर कि तुम कभी नहीं होंगे मेरे,
पर तुम्हारी यादों को
अपने तकिए तले रखे हुआ हूँ।
बहुत खुश हूँ मैं,
बस पूछना मत
क्यों हूँ मैं....