और वो मुझे बादलों के सुराखों से तकती होगी
कभी मुस्कुराती होगी मेरी अटखेलियां देख
कभी मेरे गम से सहम जाती होगी
कभी खिलखिलाती होगी मेरे बचपने पर
कभी मेरे अनकहे भाव पढ़ जाती होगी
दूर आसमानों में...
बादलों की ओट में छिपी मेरी राह तकती होगी
कभी चाँद के एक छोर पे ठहर जाती होगी
अपने नाम के एक तारे से मेरे ख्वाब बुन लेती होगी
हवा जब बालों को छूती है यूँ,
शायद वही मुझसे मिलने आती होगी।
कभी ओस की बूँदों में उतर आती होगी
और...
मेरी पलकों पर चुपके से बिखर जाती होगी।
कभी बारिश के सुरों में गुनगुनाती होगी,
मैं ज़मीन पर ढूंढती हूं परछाई उसकी
वो आसमान से मुझे पुकारती होगी।
ArUu ✍️