आत्मा की पहचान — 5 सूत्र ✧
✍🏻 — 🙏🌸 𝓐𝓰𝔂𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲
---
① आत्मा का प्रमाण कर्म है, शब्द नहीं।
प्रेम, विश्वास, सेवा — ये सब मुखौटे बन सकते हैं।
पर कर्तव्य झूठा नहीं हो सकता।
जहाँ कर्म खरा है, वहाँ आत्मा जागृत है।
---
② आत्मवान व्यक्ति जिम्मेदारी उठाता है।
वह परिस्थिति से भागता नहीं,
क्योंकि उसे पता है —
कर्तव्य से भागना, स्वयं से भागना है।
---
③ कर्तव्य ही आत्मा की तपश्चर्या है।
जिसने बिना लोभ, बिना लालसा,
अपने कर्म को समर्पित भाव से निभाया —
वह भक्त नहीं, ज्ञानी है।
---
④ प्रेम और भक्ति अभिनय हो सकते हैं।
कई चेहरे मुस्कुराते हैं,
कई हाथ पूजा करते हैं —
पर कर्तव्य की अग्नि में केवल सच्चा जलता है।
---
⑤ आत्मा कभी भाषण नहीं देती, बस करती है।
वह बोलती नहीं —
वह अपने कर्म से खुद को प्रमाणित करती है।
जहाँ कर्म में ईमानदारी है,
वहीं आत्मा की उपस्थिति है।
---
समापन:
कर्म ही आत्मा का दर्पण है।
जो उसमें झाँक सके — उसे न धर्म चाहिए, न प्रमाण।
सिर्फ एक सच्चा कदम — वही आत्म-साक्षात्कार है।