कभी मुस्कान थी जो अब आँसू बन गई,
कभी मोहब्बत थी जो अब राज़ बन गई।
वो कहते थे “हमेशा साथ रहेंगे”,
पर उनकी “हमेशा” भी आज याद बन गई।
दिल अब भी पूछता है हर शाम उनसे,
“क्या कसूर था मेरा, जो तन्हा कर गए?”
वो हँसते रहे महफ़िल में यूँ ही,
और हम अंदर से बिखर कर रह गए।
- kajal jha