नदियाँ बहा लाती हैं अपने साथ,
कुछ रेत, कुछ चट्टानों की बात।
कुछ बिखरे सपने, कुछ टूटी आस,
कुछ मौन सिसकियाँ, कुछ बेबस साँस।
कुछ विरक्त कण, कुछ गहरे घाव,
कुछ बचे निशाँ, कुछ डूबे भाव।
कुछ लाशें बहती, कुछ धुंधली छवियाँ,
कुछ अधूरी दास्ताँ, कुछ बिखरी कड़ियाँ।
पर जब किनारों से टकराती है,
तो प्रश्नों की लहरें ही रह जाती हैं।
उत्तर नहीं, बस प्रतिध्वनियाँ,
जो शून्य में डूबकर खो जाती हैं।
ArUu ✍️