सच की आवाज़
यहां कोई किसी का दुख नहीं पढ़ता,
हर कोई बस अपना लिखा सुनाना चाहता है।
इनके लिए लेखन एक सदस्यता है,
जैसे कोई तमगा, कोई पहचान-पत्र।
पर किसी के शब्दों के पीछे छिपा दर्द,
कभी उनकी नज़र तक नहीं पहुँच पाता।
यहां भावनाओं से ज़्यादा
तालियाँ गिनने का शौक है,
और हकीकत की बजाय
दिखावे की रौशनी बिकती है।