बरेली का झुमका – मोहब्बत की मस्त कहानी, सेल्फी का नया ठिकाना।
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हर शहर की अपनी शान होती है। जैसे -
इंदौर का पोहा-जलेबी,
बनारस का पान,
लखनऊ का तहज़ीब,
पटना का दुर्घटना,
अलीगढ़ का ताला,
लेकिन बरेली?
भाई, यहाँ का असली ब्रांड तो था बरेली का सूरमा।
लगा लो आँख में और सबको घूरो — चमक इतनी कि पड़ोसी भी बोले "कहाँ से लाए?"
मगर लोगों की ज़ुबान पर सूरमा नहीं, झुमका चढ़ा।
और सारा क्रेडिट जाता है एक फिल्मी गाने को।
कहानी की फुल-टू फिल्मी स्क्रिप्ट!
सन 1941 का बरेली।
क्रिसमस की छुट्टियाँ चल रही थीं।
इलाहाबाद के शायर हरिवंश राय बच्चन टूटे-फूटे दिल के साथ बरेली आए।
वहीं मिल गईं लाहौर की प्रोफेसरनुमा तेजी सूरी।
सुबह चाय पर मुलाकात हुई,
शाम को बच्चन जी ने कविता पढ़ी,
रात को दोनों रोते-रोते एक-दूसरे से लिपट गए।
और दूसरे ही दिन दोस्त ने गले में फूलों की माला डालकर अनौपचारिक सगाई करवा दी।
मतलब, ये प्यार था या स्टार्ट-अप पिच मीटिंग?
24 घंटे में "डील फाइनल"।
तेजी ने मजाक में कहा था —
"मेरा झुमका तो बरेली के बाजार में गिर गया है।"
और वहीं से ये लाइन इतिहास में दर्ज हो गई।
गाना बना और बरेली का नाम चमक गया
मेहंदी अली खान, जो बच्चन परिवार के दोस्त थे,
उन्हें यह "झुमका वाला किस्सा" सालों तक याद रहा।
फिर 25 साल बाद जब फिल्म 'मेरा साया' के लिए गाना लिखना था,
तो उन्होंने यही लाइन साधना पर ठोक दी -
"झुमका गिरा रे, बरेली के बाजार में..."
अब फिल्म हिट, गाना सुपरहिट, और बरेली एकदम इंटरनेशनल ब्रांड।
यानी न झुमका यहां बना, न गिरा —
लेकिन नाम बरेली का ही हुआ।
55 साल बाद – झुमका सचमुच टांग दिया।
समस्या ये थी कि लोग इतने सालों से पूछते रहे —
"कहाँ गिरा झुमका? हमें भी दिखाओ!"
तो बरेली डेवेलपमेंट अथॉरिटी ने कहा —
"लो भई, अब देख लो!"
और NH-24 पर 14 मीटर ऊँचा झुमका टांग दिया।
नाम रख दिया — झुमका तिराहा।
अब हालत ये है कि सेल्फी के बिना कोई वहाँ से गुजर ही नहीं सकता।
लड़कियाँ फोटो खिंचवाते हुए कहती हैं —
"देखो, यही है वो झुमका जो गिरा था..."
और लड़के लाइन मारते हैं —
"तुम्हारा कब गिरेगा?"
असल में झुमका कभी गिरा ही नहीं,
गिरा था तेजी सूरी का दिल,
और उसे उठा लिया था हरिवंश राय बच्चन ने।
बाकी आज भी, जब बरेली का नाम आता है,
तो लोग सूरमे की नहीं,
बल्कि झुमके की चमक याद करते हैं।
तो अगली बार जब कोई पूछे "बरेली का झुमका कहाँ गिरा था?"
तो कह देना — "दिल के बाजार में, मोहब्बत के सौदे में, और अब हाईवे पर सेल्फी प्वाइंट में।
आर के भोपाल