🌧️ टिप-टिप बरसा पानी ☔
टिप-टिप बरसा पानी,
धरती ने ली अंगड़ाई।
हरियाली का जादू बिखरा,
मुस्काई क्यारी-क्यारी।
गगन से झर-झर मोती गिरे,
नदियाँ गुनगुनाने लगीं।
फूलों ने खोला रंगों का खज़ाना,
कली मुस्कुराने लगी।
बचपन की काग़ज़ की नावें,
फिर से लहरों में तैर गईं।
भीगी-भीगी गलियों में,
खुशियाँ झूमकर खेल गईं।
पानी की हर एक बूँद,
संदेश सुनाती प्यारा।
जीवन की धूल धोकर,
लाती है सुख का सहारा।
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Writer _
Dharmendra Kumar