Hindi Quote in Poem by kunal kumar

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सीलन पड़ी दीवार पर
मृत्यु नहीं पसारती पूरा शरीर,
वहाँ वह कई-कई स्वांग रचती है —
कभी भूख,
कभी बारिश,
कभी तीखी धूप,
तो कभी फटते बादल।

जो ज़िंदा हैं
वे सब कुछ करते हैं
सिवाय जीने के,
और जो मर चुके हैं,
उन्हें हर सप्ताह
वोटर लिस्ट में
फिर से दर्ज किया जाता है।


मैंने देखा है
बूढ़े लोग
डरते नहीं मरने से।
वे बस धीरे-धीरे
सुनना बंद कर देते हैं
कि कौन
अब भी उन्हें पुकारता है।


मुझे डर
मृत्यु से नहीं,
उसके बाद की
अचानक आई शांति से लगता
जहाँ कोई नहीं पूछता,
कि "अब कैसा लग रहा है?"


इतने-इतने व्यापक तरीकों के बावजूद,
जब मृत्यु के सौदागर
नहीं कैद कर पाते देह,
तब वे भरने लगते हैं
पोटली में तरह-तरह के भ्रम।
उनमें से —
“ईश्वर की लीला”
आज भी
सबसे कारगर हथियार है।


ईश्वर,
मृत्यु के ठीक बाद
पहला झूठ है
जो बोला नहीं गया,
बस चुप्पियों में
लपेटकर
परोसा गया।


और अब जब
मैं सब कुछ
जान चुका हूँ,
कह चुका हूँ
तो सुनो मनुष्यों,
सुनो गिद्धों —
मेरे मरने के तुरंत बाद
नोच खाना
हर उस बेनाम फफूंदी को
जो किसी ईश्वर की कृपा बताकर
उग रही हो
मेरे देह पर,
मेरे विचार पर
और मेरी कविताओं पर।
@कुनु

Hindi Poem by kunal kumar : 111994813
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