फूलों की राह छोड़ वो काँटों में जा बसा,
वो शख़्स मेरे प्यार के क़ाबिल नहीं रहा।
दिल की किताब से मैं मिटा आया हूँ उसे,
यादों में उसका अब कोई हासिल नहीं रहा।
ख़्वाबों के जिस नगर में हुआ करता था वो,
अब उस जगह का कोई भी शामिल नहीं रहा।
राहें बदल गईं हैं, वही मोड़ रह गए,
साथी कभी जो था, वो हमदिल नहीं रहा।
वो हँस के छोड़ गया था सभी रिश्तों का सफ़र,
दिल में मगर वो दर्द का हासिल नहीं रहा।
निगाह से उतार चुका हूँ मैं उसको अब,
वो शख़्स अब तो प्यार के क़ाबिल नहीं रहा।