सिगरेट का कश लिए हाथों में,
सोचता हूँ उस अंतिम घड़ी के लिए।
कैसा होगा वो दिन निराला,
जब छूट जाएगा ये जग सारा।
कौन रोएगा सच्चे मन से,
कौन करेगा दिखावा तन से।
कितने आएँगे सांत्वना देने,
कितने बस औपचारिकता में खोने।
कुछ आँसुओं में डूबे मिलेंगे,
कुछ चेहरे मुस्कानों में खिलेंगे।
किसे होगी मेरी याद गहरी,
कौन भुला देगा बात ये ठहरी।
न जाने कैसा होगा वो पल,
जब मौन हो जाएगी मेरी हलचल।
शायद रह जाए बस धुंधली कहानी,
या बन जाऊँ मैं किसी के लिए निशानी।
~ Vachana Jalore