इंसान को पहचानना हो तो उसके मज़बूत वक्त में नहीं, उसके मजबूर पल में पहचानो,
क्योंकि ताक़त चेहरे पर मुखौटा चढ़ा देती है, मगर मजबूरी सच्चाई उघाड़ देती है।
मजबूरी ही वह आईना है, जिसमें इंसान का असली चेहरा और तुम्हारी असली औक़ात उसकी नज़रों में साफ़ दिख जाती है।
✍️ जादू की कलम से