"दिल टूटा तो क्या हुआ,
क्यों विलाप में अपनी ताक़त गँवाते हो?
क्या तुम्हारे जाने पर संसार की धड़कन थम जाएगी?
दर्द मेरा स्वभाव नहीं,
मैं तो गिरते हुओं को संभलते देखना चाहती हूँ।
चोट मिले तो और मज़बूत बनो,
अंधकार मिले तो अपना दीपक स्वयं बनो।
जीवन आंसुओं का पात्र नहीं,
यह तो साहस की शिला पर लिखा जाने वाला महाकाव्य है।
उठो क्योंकि तुम्हारी कहानी अभी अधूरी है।"